1. मनुष्य की क्रिया पद्धति भी यही होनी चाहिए ।। 2. मनुष्य की क्रिया पद्धति भी यही होनी चाहिए । 3. मनुष्य की क्रिया पद्धति भी यही होनी चाहिए । 4. शरीर की अनैतिच्छक क्रिया पद्धति के सम्बन्ध में वह लाचार बना रहता है । 5. हमारे अंदर के प्रसुप्त देवत्व को जगाकर हमें देव मानव बनाने की एक क्रिया पद्धति है। 6. ५. हमें अपनी क्रिया पद्धति अगले दिनों समाप्त करनी है, अपने उत्तरदायित्व मजबूत कंधों पर सौंपने हैं। 7. इस दृष्टि से एवं भावी क्रिया पद्धति के सूत्रों को समझने के लिए तुम्हारा स्वतंत्रता संग्राम अनुष्ठान भी जरूरी है। 8. एकाग्रता सधती है और मन को ज्ञान-साधना एवं भाव-साधनाओं की उच्चस्तरीय क्रिया पद्धति में नियोजित किया जा सकता है। 9. इससे स्पष्ट हो जाता है कि आत्मज्ञान प्राप्त व्यक्ति की क्रिया पद्धति में आदर्शवादिता ही आदर्शवादिता उभरती, उछलती रहती है। 10. इन चारों को सम्मिलित रूप में अन्तः करण चतुष्टय कहा जाता है, जो मानव शरीर में चेतना की क्रिया पद्धति है।