1. तरंग रूप शरीर को इसके मूल रूप में जानना,2. प्रकाश व ध्वनि दोनों ही तरंग रूप में गमन करते हैं। 3. के रूप में प्रसिद्घ क्लासिक ट्रान्स सिंथेसाइजर्स द्वारा एक तरंग रूप को बनाया गया था. 4. जो तरंग रूप में सर्व ब्यापी सत्ता है इस धरती की प्रकृति रूप में.. 5. सूक्ष्म जगत का सारा द्रव्य तरंग रूप में होता है हम सूक्ष्म जगत की एक चीज 6. परंतु वायु एवं तरंग रूप को हम नहीं देरव सकते इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। 7. विद्युतहृद्लेख (ईसीजी) संबंधी विविधता एक ईसीजी तरंग रूप एवं दूसरे के बीच भिन्नता के परिमाण की माप है. 8. कभी वे कण रूप में भासित होते हैं तथा कभी तरंग रूप में, और यह अनुभूति वास्तविक है। 9. विद्युतहृद्लेख (ईसीजी) संबंधी विविधता एक ईसीजी तरंग रूप एवं दूसरे के बीच भिन्नता के परिमाण की माप है. 10. तरंग रूप ही सभी भौतिक, रासायनिक, जैविक एवं भावनात्मक क्रियाओं का माध्यम होता है एवं इसका प्रभाव स्थाई होता है।