1. मूलग्राम की परंपरा व्यापक रूप से स्वीकृत हैे।2. लोग इसे मूलग्राम , वासिंदा आदि नामों से जानते-पहचानते हैं। 3. राजस्थान में मूलग्राम (जिसकी पहचान वह समूह स्मृति में रखे हुए है) को ही लोग गोत्र मानने लगे हैं। 4. जो स्थानीय हैं उनके मूलग्राम कर्मनाशा से किउल के बीच मिलते हैं और वे उन्हीं गाँवों के लोगों के बीच विवाह करते हैं। 5. 4. स्थानीय जातियों के मूलग्राम एवं परंपरा की समानता उत्तर भारत में आम तौर पर अपने गाँव में विवाह करना वर्जित है। 6. पंचहाय का मूलग्राम (पुर) वर्तमान देव चन्दा (देववरुणार्क) गाँव है, जो वर्तमान भोजपुर जिले के पीरो अनुमंडल में है। 7. जिन जातियों के मूलग्राम मगध क्षेत्र में हैं उन्हें आसानी से और निश्चित तौर पर मगधवासी, मागध या मगहिया कहा जा सकता है। 8. एक अभिशाप की तरह न जाने किन कारणों से मग ब्राह्मणों में सर्वाधिक आबादी वाले उरवार लोगों के मूलग्राम में एक भी उरवार परिवार नहीं है। 9. जनसंख्या एवं समपन्नता की दृष्टि से इस गाँव में भूमिहार ब्राह्मणों की प्रमुखता है किंतु उरवार लोगों की दृष्टि से उनका मूलग्राम बेचिरागी हो गया है। 10. इनके कुलदेवता के रूप में वरुणार्क सूर्य की पूजा होती हैं अतः पंचहाय एवं वरुणार्क दो नामोंवाले पुरों की सूचना उपलब्ध होती है, जिनका मूलग्राम एक है।