1. उच्च कतरनी शक्ति प्रवाह के लिए अधिक से अधिक प्रतिरोध का मतलब है. 2. अब पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म शक्ति प्रवाह उपासना के द्वारा प्रेरणा देता रहा। 3. केवल इतना ही जानते हैं कि किस वेग से उसके द्वारा शक्ति प्रवाह गमन करते 4. क्योंकि हर अंग का कुछ समय होता है जिसमें वह उच्च शक्ति प्रवाह होती है। 5. इसी प्रकार अधिकतम शक्ति प्रवाह के समय ही रोग के कारण दर्द भी ज्यादा होगा। 6. पीड़ित अंगों पर कुछ समय रुक कर उन अंगों पर शक्ति प्रवाह का संचार अनुभव करें। 7. ' ' वे बोले, ‘‘ हो जाएगा और उस दिन से शक्ति प्रवाह ऐसा बरसा कि खूब कलम चलने लगी। 8. जो पूरी तत्परता से, ईमानदारी से अभ्यास करते हैं, उन्हें गुरु के शक्ति प्रवाह के अनुदान भी मिलते हैं। 9. क्योंकि शक्ति भी बहुत प्रबल हो गयी है, शक्ति प्रवाह के बन जाने पर, यह बहुत चौड़ी और उज्जवल बन जाएगी। 10. उदाहरण के रूप में ऋषियों की इस कल्पना का अवलोकन करें-यह यज्ञीय अश्व या विश्वव्यापी शक्ति प्रवाह का सिर ' उषाकाल ' है।