1. 4. शिशु पालन केन्द्र, देवीदासपुरा, कुरुक्षेत्र। 2. इसे शिशु पालन की नैसर्गिक मातृ / ममत्त्ववृत्ति का तार्किक विकास मानना चाहिये। 3. शिशु पालन के लिए बाप को भी माँ का सहयोग जरूरी होता है।4. अपने पेट से शिशु को जन् म देने वाली मॉं को शिशु पालन की ट्रेनिंग लेने की आवश् यकता नहीं होती। 5. बच्चे जब तक कुछ बड़े न हो जाएं तब तक उन्हें शिशु पालन भत्ता उपलब्ध कराना एक अन्य सुविधा हो सकती है। 6. उन्हें पर्याप्त मातृत्व अवकाश, कार्यस्थल पर शिशु पालन सुविधा और देर रात तक काम करने पर सुरक्षा का अधिकार होना चाहिये। 7. बच्च्े जब तक कुछ बड़े न हो जाएं तब तक उन्हें शिशु पालन भत्ता उपलब्ध कराना एक अन्य सुविधा हो सकती है । 8. उन्हें प्रसूति की पर्याप्त छुट्टी, काम की जगह पर शिशु पालन सुविधाओं और देर तक काम करने पर सुरक्षित यातायात सुविधाओं का अधिकार है। 9. 10. गर्भधारण, प्रसव और शिशु पालन के विषय में गांव की बहुओं की जितनी मदद इन ‘ दादी मांओं ‘ ने की है। 10. किसी संस्था या किसी व्यक्ति को यदि कोयी लावारिस बच्चा मिलता है तो वे संस्थाएं एवं व्यक्ति भी बच्चों को शिशु पालन केन्द्र में छोड़ सकते है.