1. सामाजिक निषेध : झारखंड की जनजातियों में कई प्रकार की निषेधाज्ञाएं प्रचलन में हैं।2. विवाह पूर्व शारीरिक संबंध बनाना आज के युवाओं के दृष्टिकोण में कोई सामाजिक निषेध नहीं बल्कि व्यक्तिगत रजामंदी बन गया है। 3. सेक्स की शब्दावली भी उन्हीं सामाजिक निषेध क्रियाओं में से एक है जिसे हमेशा पति-पत्नी का आपसी मसला ही माना जाता रहा है। 4. यदि प्राकृतिक तौर पर आकर्षण हो तो सामाजिक निषेध के बावजूद एकाधिक का विकल्प तो दोनों पक्षों के लिए खुला ही है ना! 5. यह दीगर बात है कि इसी हरिद्वार में एक पुरोहित परिवार ऐसा भी है, जो सामाजिक निषेध और रूढ़ी के इस बंधन को तोड़कर अनुसूचि त 6. लेकिन इसी हरिद्वार में एक पुरोहित परिवार ऐसा भी है जो सामाजिक निषेध और रूढ़ि के इस बंधन को तोड़कर अनुसूचित जाति के लोगों का धार्मिक संस्कार करवाता है. 7. लेकिन इसी हरिद्वार में एक पुरोहित परिवार ऐसा भी है जो सामाजिक निषेध और रूढ़ि के इस बंधन को तोड़कर अनुसूचित जाति के लोगों का धार्मिक संस्कार करवाता है.