11. सिद्धि और असिद्धि , सफलता और विफलता में सम भाव रखना समत्व कहलाता है। 12. सिद्धि और असिद्धि , सफलता और विफलता में सम भाव रखना समत्व कहलाता है। 13. स्वप्न में कार्य-सिद्धि व असिद्धि जानने के लिए : '' दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधि के। 14. आसन छोड़ना असिद्धि भर उठाना चाहा तो फूल नदारद ! राम एकाएक अस्थिर हो उठे। 15. अशुभ स्वप्न कार्य असिद्धि की सूचना देते हैं तथा मिश्रित स्वप्न मिश्रित फलदायक होते हैं। 16. तथा , बुद्धि पक्ष-विपक्ष के तुल्य-बल तर्कों से ईश्वर की सिद्धि या असिद्धि नहीं कर सकती. 17. तथा , बुद्धि पक्ष-विपक्ष के तुल्य-बल तर्कों से ईश्वर की सिद्धि या असिद्धि नहीं कर सकती. 18. कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो। 19. तथा , बुद्धि पक्ष-विपक्ष के तुल्य-बल तर्कों से ईश्वर की सिद्धि या असिद्धि नहीं कर सकती . 20. कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।