11. परन्तु पितृमातृहीन पौत्र को फकीर वेश में सजाकर उनका जीवन सम्हाला था शोक-संतप्ता पितामही ने । 12. परन्तु पितृमातृहीन पौत्र को फकीर वेश में सजाकर उनका जीवन सम्हाला था शोक-संतप्ता पितामही ने । 13. उपपत्नी , पितामह तथा पितामही और पौत्रादि के पोषण का भार वहन करना, उसके लिए आवश्यक नहीं है। 14. उपपत्नी , पितामह तथा पितामही और पौत्रादि के पोषण का भार वहन करना, उसके लिए आवश्यक नहीं है। 15. रामगया में श्राद्ध और सीता कुंड पर माता , पितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं। 16. रामगया में श्राद्ध और सीता कुंड पर माता , पितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं। 17. बाल्यकाल में उनके पिता-माता के अकाल निधन के बाद वृद्धा पितामही द्वारा फकीरमोहन का लालन-पालन हुआ । 18. बाल्य काल में उनके पिता-माता के अकाल निधन के बाद वृद्धा पितामही द्वारा फकीरमोहन का लालन-पालन हुआ । 19. बाल्य काल में उनके पिता-माता के अकाल निधन के बाद वृद्धा पितामही द्वारा फकीरमोहन का लालन-पालन हुआ । 20. पितामह को आर्य ( हिन्दी - आजा) और पितामही को आर्या (हिंदी - आजी, ऐया, अइया) कहने की प्रथा रही है।