31. तब तू लगा हुआ था , पतितों के संगठन में॥ मैं था विरक्त तुझसे, जग की अनित्यता पर। 32. हे जगत तेरी अनित्यता ! हाय मनुष्य , तेरी वासना और अंधी दौड़ !! आखिर कब तक !!! 33. सरिता के शांत तटप्रदेश पर बैठे-बैठे मैंने शरीर की विनाशशीलता और जीवन की अनित्यता का चिंतन किया । 34. जब मैने इसे पढ़ा तो लगा कि यह हमें जीवन में अनित्यता का बोध करा सकती है . 35. आज सुबह जब मैने इसे पढा तो लगा कि यह अनित्यता का बोध हमे जीवन मे करा सकती है . 36. तीसरा नेत्र उनका ' बोधिनेत्र ' है , जिसके माध्यम से उन्होंने संसार की अनित्यता का साक्षात अनुभव किया। 37. जो जीवन और जगत की अनित्यता को जान लेता है वही जीवन के कल्याण मार्ग पर जा पाता है। 38. सब कुछ अनित्य है-लेकिन अनित्यता की भी निरंतरता है-इस निरंतरता के अपने लय हैं-इसे ही जीवन और प्रकृति कहते हैं। 39. उन्हें निर्गुण पंथी संतों और कनफटे योगियों के सत्संग से ईश्वर भक्ति , संसार की अनित्यता तथा विरक्ति का अनुभव हुआ था। 40. उनमें केवल वसन्त का आनन्द और शक्तिमत्ता ही नहीं , बल्कि उसकी अनित्यता और क्षण-भंगुरता के भाव भी प्रतिफलित हुए हैं।