31. भारत में अनीश्वरवाद की शुरुआत जैन और चार्वाक मत से मानी गई है और ईश्वरवाद की शुरुआत वेद से। 32. उसके विचार के तीन मूलाधार हैं : अराजकतावाद, अनीश्वरवाद तथा स्वतंत्र वर्गों के बीच स्वेच्छा पर आधारित सहयोगिता का सिद्धांत। 33. हालॉंकि मानवता का इतिहास बताता है कि धर्मों ने क्रूरता को बढ़ावा ही दिया है और अनीश्वरवाद ने तार्किकता को। 34. यानी हेतुवादी बहस करते हुए भी ईश्वर में आस्था को दरकिनार करते हुए हम अनीश्वरवाद की ओर बढ़ सकते हैं। 35. उसके विचार के तीन मूलाधार हैं : अराजकतावाद, अनीश्वरवाद तथा स्वतंत्र वर्गों के बीच स्वेच्छा पर आधारित सहयोगिता का सिद्धांत। 36. कार्ल मार्क्स के बाद अनीश्वरवादियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है , लेकिन अनीश्वरवाद के मायने सभी जगह अलग-अलग रहे हैं। 37. लेनिन ने यह साफ कह दिया है कि हम खयाली और सैद्धांतिक रूप से ही नास्तिकता या अनीश्वरवाद के समर्थक नहीं हैं। 38. हालाँकि विश्व भर में अनीश्वरवाद हजारों सालों से रहा है , पर वैज्ञानिकों में नास्तिकता पिछले दो सौ सालों में ही फैली है। 39. लेकिन समाजवादी के मूल में अगर भौतिकवाद हो और उस भौतिकवाद के मूल में अनीश्वरवाद हो , तब तो यह सवाल उठ सकता है। 40. वह समय और परिस्थिति अनीश्वरवाद के लिए बहुत ही अनुकूल थी , यदि उसकी लहर चल पड़ती तो उसे रोकना बहुत ही कठिन हो जाता।