31. कृषि कर्म करें , तब जाकर प्रजा की अन्न की समस्या सदा के लिए हल हो जाएगी।32. वैष्णव परम्परा की देवोत्त्थान एकादशी के दिन एक बार फिर से कृषि कर्म का दैवीकरण होता है। 33. तब भला अपने कृषि कर्म में काम आने वाली वस्तुओं को वे कैसे भूल सकते हैं ? 34. बाद में वेटर ( शिकारी ) और आयर वर्ग के लोग भी कृषि कर्म करने लगे । 35. इन परिवारों को राज्याश्रय प्राप्त था एवं कृषि कर्म के लिये इन्हे बडी बडी जमीने भी दी गयीं। 36. यहां रहने और जीने के लिए जरूरी था कि वे कृषि कर्म से जुड़ते पर ऐसा नहीं हुआ। 37. गंगा और यमुना के उपकुलों में निवासरत आर्यर्ों के जीवन यापन का मुख्य साधन कृषि कर्म ही था। 38. प्राचीन समय में कृषि कर्म के सभी आयाम अर्थात बुवाई , सिंचाई, बिनाई, कटाई आदि के वक्त याज्ञिक-अनुष्ठान होते थे। 39. अतएव यह मानना पड़ेगा कि ज्योतिष तत्वों की जानकारी के बिना कृषि कर्म सम्यक्तया संपन्न नहीं किया जा सकता। 40. इस कृषि कर्म में हमें शीत , वर्षा की चिंता न करते हुए निष्ठावान कृषक की तरह लगना चाहिए।