31. ! ! क्षात्रधर्म !! ” क्षति से जो समाज की रक्षा करता है ; वही क्षत्रिय कहलाता है ..32. ! ! क्षात्रधर्म !! ” क्षति से जो समाज की रक्षा करता है ; वही क्षत्रिय कहलाता है .. 33. ! ! क्षात्रधर्म !! ” क्षति से जो समाज की रक्षा करता है ; वही क्षत्रिय कहलाता है .. 34. धर्म , धरा और क्षात्रधर्म के अनुपम आदर्शों हेतु असंख्य बलिदान एवं जौहर-शाके कर भाटियों ने (भाटी) नाम को उज्जवल किया। 35. अकेले और निहत्थे अभिमन्यु को जब तुम सबने मिलकर मार डाला तब कहां गया था तुम्हारा क्षात्रधर्म और न्याय-व्यवहार ? ' 36. और नानाविध घोटालों के इस भयंकर चक्रव्यूह में क्षात्रधर्म ( अर्जुन) का केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (वीर अभिमन्यु) न जाने कहाँ खो गया। 37. यदि कोई क्षत्रिय अपने क्षात्रधर्म का परित्याग करके युद्ध से भागता है तो वह क्षत्रियोचित धर्म भ्रष्ट होने के करण घोर नरक में पड़ता है। 38. 19 । चोरी , दुष्कर्म , पाप , सत्य , यज्ञ , महान , जल क्षात्रधर्म और ओज भी मनुष्य देह में प्रविष्ट हो गए। 39. वजीरिस्तान और बन्नू में क्षात्रधर्म को लज्जित करने वाली जो घटनाएं घटी थीं , उनकी कहानी कुरम के मुंह से सुनकर सिन्धु का जी कांप उठता है। 40. वे वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करना चाहते थे किंतु समस्त भाइयों तथा द्रौपदी ने उन्हें तरह-तरह से समझाकर क्षात्रधर्म का पालन करने के लिए उद्यम किया।