एक औरत उसे के रूप में के रूप में अच्छी तरह से परिवार , दोस्तों के रूप में के रूप में अच्छी तरह से उसे के रूप में के रूप में अच्छी तरह से उसकी बेटी के पिता निरानंद दुर्घटना मुठभेड़ों के साथ आठवें महीने पर चला जाता है.
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जो जमा-पूँजी है उसको खर्च करना हमारे लिए असंभव होता है , इसीलिए चारो और ऐसा निरानंद छाया रहता है- ऐसा निरानंद ! इसीलिए यह भी तुम्हारी जैसे दो-एक व्यक्ति ही समझ पाते हैं कि हममें अपने में कोई महत्ता है , साधारण लागों के मन में तो इसकी चेतना ही नहीं होती।
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जो जमा-पूँजी है उसको खर्च करना हमारे लिए असंभव होता है , इसीलिए चारो और ऐसा निरानंद छाया रहता है- ऐसा निरानंद ! इसीलिए यह भी तुम्हारी जैसे दो-एक व्यक्ति ही समझ पाते हैं कि हममें अपने में कोई महत्ता है , साधारण लागों के मन में तो इसकी चेतना ही नहीं होती।
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अव तक कहाँ सोया है वह यदि परमात्मा है तो ! अब तक क्यों खोयी है वह यदि आत्मा है तो ! अब तक क्यों निरानंद हैं दिशायें यदि वह आनंद है तो ! आप का यह यज्ञ-विधान, कर्मकाण्ड, वाह्याचार, आपकी स्वाहा-स्वधा - सब आपको मुबारक हो ! मेरा समाधान यहा नहीं है ।
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अव तक कहाँ सोया है वह यदि परमात्मा है तो ! अब तक क्यों खोयी है वह यदि आत्मा है तो ! अब तक क्यों निरानंद हैं दिशायें यदि वह आनंद है तो ! आप का यह यज्ञ-विधान , कर्मकाण्ड , वाह्याचार , आपकी स्वाहा-स्वधा- सब आपको मुबारक हो ! मेरा समाधान यहा नहीं है।
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मसलन मेरी एक कविता है जिसमें किसी पेड़ के पत्ते गिरने के जिक्र के साथ ‘पेड़ रच रहा होगा… ' पंक्ति आती है, तो इसमें पेड़ को पहले तो प्रतीक बनाना और फिर इसे रचना-प्रक्रिया के बिम्ब के रूप में देखना, यानी एक तरह से कविता की खींचतान करके उसे बिलकुल निरानंद कर दिया गया है।
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मसलन मेरी एक कविता है जिसमें किसी पेड़ के पत्ते गिरने के जिक्र के साथ ‘ पेड़ रच रहा होगा … ' पंक्ति आती है , तो इसमें पेड़ को पहले तो प्रतीक बनाना और फिर इसे रचना-प्रक्रिया के बिम् ब के रूप में देखना , यानी एक तरह से कविता की खींचतान करके उसे बिलकुल निरानंद कर दिया गया है।
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बीच-बीच मे इधर-उधर निज दृष्टि डालकर मोदमयी , मन ही मन बातें करता है, धीर धनुर्धर नई नई-क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह, है क्या ही निस्तब्ध निशा;है स्वच्छन्द-सुमंद गंधवह, निरानंद है कौन दिशा?बंद नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य-कलाप,पर कितने एकान्त भाव से, कितने शांत और चुपचाप!है बिखेर देती वसुंधरा, मोती, सबके सोने पर,रवि बटोर लेता है उनको, सदा सवेरा होने पर।
39.
सरोज स्मृति ' में वे स्वयं लिखते हैं- ' तब भी मैं इसी तरह समस्त / कवि जीवन में व्यर्थ ही व्यस्त / लिखता अबाध गति मुक्त छंद / पर संपादक गण निरानंद ' ' तोड़ती पत्थर ' ने न केवल विषयवस्तु या छंद के बंधन को तोड़ा है , वरन उसने जन मानस में दीनों के प्रति करूणा का भाव जागृत कर उन्हें दैन्य-मुक्त कराने हेतु प्रेरित भी किया है।
40.
यदि मनुष्य निष्क्रिय है , यदि वह बेहतर भविष्य के लिए प्रयत्न नहीं करता और उसका वर्तमान जीवन कठिन तथा निरानंद है , तो वह प्रायः दिवास्वप्नों का सहारा लेगा , और अपने लिए ऐसे भ्रामक , काल्पनिक कल्पनालोक की रचना करेगा जहां उसकी आवश्यकताएं पूर्णतः तुष्ट होती हैं , जहां वह हमेशा ख़ुशक़िस्मत साबित होता है और ऐसी स्थिति पाता है , जिसे वास्तविक जीवन में पाने की वह कभी आशा भी नहीं कर सकता।
निरानंद sentences in Hindi. What are the example sentences for निरानंद? निरानंद English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.