31. पूर्व में उड़ीसा की छोटी-बड़ी पहाड़ियाँ हैं और आग्नेय में सिहावा के पर्वत शृंग है। 32. आकाश , पर्वत शृंग , वृक्ष , वन जहां-तहां भ्रमर ही भ्रमर दृष्टिगोचर होने लगे। 33. तुम योग और मैं [ ...] सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” हिन्दी कविताये तुम तुंग - हिमालय - शृंग 34. ‘सुभद्रा कुमारी चौहान ' तुम और मैं तुम तुंग – हिमालय – शृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता। 35. विष्णुधर्मोत्तर में उनके धातु के , शृंग के तथा दारु (बाँस) के बने होने का उल्लेख है। 36. विष्णुधर्मोत्तर में उनके धातु के , शृंग के तथा दारु (बाँस) के बने होने का उल्लेख है। 37. विष्णुधर्मोत्तर में उनके धातु के , शृंग के तथा दारु (बाँस) के बने होने का उल्लेख है। 38. विष्णुधर्मोत्तर में उनके धातु के , शृंग के तथा दारु (बाँस) के बने होने का उल्लेख है। 39. हरिहरचतुरंग के अनुसार बाण तालतृण के दंत , शृंग या शारभ द्रुम (साल या वेणु) के बनते थे। 40. हरिहरचतुरंग के अनुसार बाण तालतृण के दंत , शृंग या शारभ द्रुम (साल या वेणु) के बनते थे।