31. और भ्रान्ति समझने की जगह हम यह निश्चयपूर्वक कह सकते हैं कि ससीम ज्ञान 32. कबीर कहते हैं कि ससीम में फँसे हुए लोगों की संगत में मत पड़ों। 33. अनुभूति से और असीम ससीम के मिलन , अव्यक्त और अज्ञात की झाँकी आदि का क्या 34. उस असीम व्यक्तित्व को ससीम शब्दों में बाँधना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। 35. बैठे अन्य देश और अन्य काल की घटनाएँ देखना , असीम ससीम का राग अलापना, ये 36. अपनी विशुद्ध आनन्दमय आत्मा को आवरण में डाले हुए ससीम के भीतर असीम छिपा है। 37. अत : यह कहना ठीक ही है कि मानो उस ससीम बाल्यजीवन के भीतर असीम आनंदस्वरूप 38. या धर्म में अंतर्निहित असीम से ससीम मन के संबंध की माँग करती हुई नहीं 39. प्रकार ससीम की दीवारें फाँदकर असीम से जा भिड़ी और उसे ससीम के भीतर खींच 40. प्रकार ससीम की दीवारें फाँदकर असीम से जा भिड़ी और उसे ससीम के भीतर खींच