41. छत सपाट शिखर से मण्डित हैं , गर्भगृह द्वार में प्रतिहारी मिथुनाकृतियां गण आदि उत्कीर्ण हैं। 42. अल्लाह ने इस धरती पर मनुष्य को अपना प्रतिहारी ( ख़लीफ़ा ) बनाकर भेजा है। 43. प्रतिहारी ने आकर कहा , ' जय हो देव ! एक स्त्री कुछ प्रार्थना करने आयी है।44. पुजारी रवींद्र प्रतिहारी कहते हैं कि एक महिला के बिना इस अनुष्ठान को नहीं किया जा सकता। 45. प्रतिहारी वंश के ही महान् राजाधिराज भोज का कार्यकाल 836 ई . - 882 ई. ऐतिहासिक उपलब्धियों का काल था।46. प्रतिहारी शासक मिहिरभोज को इस भू-भाग का सर्वशक्ति संपन्न शासक के रूप में शिलालेख में उद्घोषित किया गया है।47. कौन द्वारी कौन आगारी , न जाने , पर द्वार के प्रतिहारी को भीतर के देवता ने किया बार-बार पा-लागन। 48. ( प्रतिहारी के सहित गंगा भाट का प्रवेश ) गंगा भाट : वीरसिंह महाराज की दिन दिन ही जय होय। 49. यों भी अपने ओर-छोरों के बीच भवन तो कहीं खो ही गया था और उसमें सीधे जाकर द्वार के प्रतिहारी को ‘ 50. इतने में कक्ष के बाहर से प्रतिहारी का स्वर सुनाई दिया , ” महारानीजी ! महाराज चित्रसेन ने उपद्रव मचा दिया है।