पितृपूजन में दिवंगत पिता , पितामह , प्रपितामह , माता , मातामह , प्रमातामह , मातामह ( नाना ) , प्रमातामह , वृद्धमातामह , मातामही ( नानी ) एवं इससे जुड़े पूरे परिवार से संबंधित दिवंगत कोई भी सदस्य यथा बहन , काका , मामा , बुआ , मौसी , ससुर आदि का भी महत्व रहता है।
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पितृपूजन में दिवंगत पिता , पितामह , प्रपितामह , माता , मातामह , प्रमातामह , मातामह ( नाना ) , प्रमातामह , वृद्धमातामह , मातामही ( नानी ) एवं इससे जुड़े पूरे परिवार से संबंधित दिवंगत कोई भी सदस्य यथा बहन , काका , मामा , बुआ , मौसी , ससुर आदि का भी महत्व रहता है।
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पितृपूजन में दिवंगत पिता , पितामह , प्रपितामह , माता , मातामह , प्रमातामह , मातामह ( नाना ) , प्रमातामह , वृद्धमातामह , मातामही ( नानी ) एवं इससे जुड़े पूरे परिवार से संबंधित दिवंगत कोई भी सदस्य यथा बहन , काका , मामा , बुआ , मौसी , ससुर आदि का भी महत्व रहता है।
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यमलोक या स्वर्गलोक में रहने वाले पितरों को भी तब तक भूख प्यास अधिक होती है , जब तक कि वे माता पिता से तीन पीढ़ी के अन्तर्गत रहते हैं - जब तक वे श्राद्धकर्ता पुरुष के - मातामह, प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह एवं पिता, पितामह या प्रपितामाह पद पर रहते हैं तबतक श्राद्धभाग ग्रहण करने के लिए उनमें भूख-प्यास की अधिकता रहती है।
45.
पितृ-पक्ष के दिनों में अपने स्वर्गीय पिता , पितामह , प्रपितामह तथा वृद्ध प्रपितामह और स्वर्गीय माता , मातामह , प्रमातामह एवं वृद्ध-प्रमातामह के नाम-गोत्र का उच्चारण करते हुए अपने हाथों की अञ्जुली से जल प्रदान करना चाहिए ( यदि किसी कारण-वश किसी पीढ़ी के पितर का नाम ज्ञात न हो सके , तो भावना से स्मरण कर जल देना चाहिए ) ।
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पितृ-पक्ष के दिनों में अपने स्वर्गीय पिता , पितामह , प्रपितामह तथा वृद्ध प्रपितामह और स्वर्गीय माता , मातामह , प्रमातामह एवं वृद्ध-प्रमातामह के नाम-गोत्र का उच्चारण करते हुए अपने हाथों की अञ्जुली से जल प्रदान करना चाहिए ( यदि किसी कारण-वश किसी पीढ़ी के पितर का नाम ज्ञात न हो सके , तो भावना से स्मरण कर जल देना चाहिए ) ।
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यमलोक या स् वर्गलोक में रहने वाले पितरों को भी तब तक भूख प् यास अधिक होती है , जब तक कि वे माता पिता से तीन पीढ़ी के अन् तर्गत रहते हैं - जब तक वे श्राद्धकर्ता पुरुष के - मातामह , प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह एवं पिता , पितामह या प्रपितामाह पद पर रहते हैं तबतक श्राद्धभाग ग्रहण करने के लिए उनमें भूख-प् यास की अधिकता रहती है।
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फिर आज साहित्य और पत्रकारिता में जिस तरह की राजनीति हो रही है उसमें एक खे़मे की ' ज़द ‘ पर दूसरा खेमा रहता है लेकिन अगर यह ' ज़द ‘ ' जद ‘ में बदल जाता है तो सारा मामला ही उलट जाता है यानी जो लोग ' ज़द ‘ से निशाने पर थे ' जद ` लिखते , बोलते ही मतलब दादा , नाना , पितामह , मातामह में बदल जाता है।
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फिर आज साहित्य और पत्रकारिता में जिस तरह की राजनीति हो रही है उसमें एक खे़मे की ' ज़द ‘ पर दूसरा खेमा रहता है लेकिन अगर यह ' ज़द ‘ ' जद ‘ में बदल जाता है तो सारा मामला ही उलट जाता है यानी जो लोग ' ज़द ‘ से निशाने पर थे ' जद ` लिखते , बोलते ही मतलब दादा , नाना , पितामह , मातामह में बदल जाता है।
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मूर्तिभवन के विषय मेंमौखिक जानकारी पाकर मैंने भी उसे देखने का हठ नहीं किया अन्यथा सम्भव था किहीरों-मुक्ताओं की चमचमाहट , सुवर्ण की दमदमाहट और कुब्जा के रूप की दिपदिपाहटया उसके मदभरे कटाक्ष हमें भूतल की उन बन्द गहराईयों में भी पहुंचा देते जहांसिंह-~ व्याघ्रों के पहरे में दुर्धर्ष राजबन्दी अपनी मृत्यु की एक-एक घड़ीगिनते रहे होंगे! मातामह के प्रासाद को हमने मध्यान्ह में छोड़ा था और अब, जब कि हम रंग भूमिकी ओर जा रहे थे, अपरान्ह बीत चुका था.
मातामह sentences in Hindi. What are the example sentences for मातामह? मातामह English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.