1. परन्तु परमात्मा अनुत्पन्न तत्त्व है और सदा ज्यों-का-त्यों रहता है ; 2. उत्पत्ति-विनाशशील वस्तु का तो निर्माण होता है , पर अनुत्पन्न तथा अविनाशी 3. उत्तर - सभी के मूल में एक अनुत्पन्न नित्य तत्व है । 4. सक्षम करने ) तथा विशुष्क, अनुत्पन्न का जनन (प्रादुर्भाव करने) के उपाय इस तन्त्र में हैं. 5. अनुत्पन्न स्कंधों का भूत संभाव्य कारण होता है-- अर्थात् उसमें स्कन्धोंकी उत्पत्ति की योग्यता निहित रहती हैं .6. क्योंकि भूतकाल विनिष्ट और भविष्यकाल अनुत्पन्न होने के कारण , केवल वर्तमान कालवर्ती पर्याय को ही ग्रहण करता है। 7. क्योंकि भूतकाल विनिष्ट और भविष्यकाल अनुत्पन्न होने के कारण , केवल वर्तमान कालवर्ती पर्याय को ही ग्रहण करता है। 8. क्योंकि भूतकाल विनिष्ट और भविष्यकाल अनुत्पन्न होने के कारण , केवल वर्तमान कालवर्ती पर्याय को ही ग्रहण करता है। 9. इन पूर्व संचित अनुत्पन्न कामवासनाओं का उत्पाद शुरू हो जाता है यथा च अनुप्पन्नस्स कामच्छन्दस्स उप्पादो होति तत्च पजानाति । 10. इन पूर्व संचित अनुत्पन्न कामवासनाओं का उत्पाद शुरू हो जाता है यथा च अनुप्पन्नस्स कामच्छन्दस्स उप्पादो होति तत्च पजानाति ।