11. ईसाई और मुसलिम मान् यता है कि मानव का प्रारंभ आदम और हव् वा से अदन वाटिका में हुआ। 12. इसलिए फसह की रोटी और दाखमधु खाना ही अदन वाटिका में जीवन के वृक्ष का फल खाने के बराबर है। 13. उसके अनुसार परमेश्वर ने आदम को आज्ञा दी थी कि अदन वाटिका में कार्य करे और उसकी अच्छी तरह देख भाल करे। 14. उसके आने के द्वारा ही, अदन वाटिका से लेकर आज पवित्र आत्मा के युग तक गुप्त रहे सब भेद खुल जाएंगे। 15. अरब निवासियों का विश् वास है कि यही दक्षिण का प्रायद्वीप, आदम और हव् वा की अदन वाटिका (Garden of Eden) है। 16. उसका मांस और लहू खाना और पीना ही अदन वाटिका में जीवन के वृक्ष का फल खाने का तरीका है जो आदम और हव्वा से खोया। 17. उनमें से उत्पत्ति ग्रंथ में लिखा अदन वाटिका का इतिहास हमें यह बताता है कि मानव स्वर्ग में क्या पाप करके इस धरती पर गिरा दिया गया है। 18. अदन वाटिका के इतिहास को दुबारा विचार करें तो परमेश्वर था जिसने अदन वाटिका के जीवन के वृक्ष का फल पापी देह से खाने की अनुमति नहीं दी।19. अदन वाटिका के इतिहास को दुबारा विचार करें तो परमेश्वर था जिसने अदन वाटिका के जीवन के वृक्ष का फल पापी देह से खाने की अनुमति नहीं दी। 20. अब हमें यही जानना है कि अदन वाटिका में जीवन के वृक्ष के फल की असलियत यीशु का मांस और लहू किस तरह से खा और पी सकेंगे।