11. अधिलाभ की बढ़ती मात्रा पूंजीपति की एकाधिकार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है.12. अधिलाभ की बढ़ती मात्रा पूंजीपति की एकाधिकार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है.13. उसके मूल्य का निर्धारण वह अपने अधिलाभ की मात्रा को ध्यान में रखकर करता है. 14. दूसरे शब्दों में श्रमिक की मेहनत उसके मालिक के लिए अधिलाभ की रचना करती है. 15. अधिलाभ की लगातार बढ़ती मात्रा तथा जमाराशि उत्पादक-पूंजीपति को और अधिक सशक्त एवं सामथ्र्यवान बनाती है.16. ग. अधिलाभ की मात्रा में हुआ परिवर्तन श्रम-शक्ति में होने वाले बदलाव का पूर्वाभास होता है. 17. मशीनरी में हुए खर्च के बाद भी अपने लिए अतिरिक्त अधिलाभ की व्यवस्था कर लेता है. 18. उसका पूरा ध्यान उत्पादन-वृद्धि द्वारा अपने अधिलाभ में अधिकतम वृद्धि करने पर केंद्रित होता है. 19. उसका पूरा ध्यान उत्पादन-वृद्धि द्वारा अपने अधिलाभ में अधिकतम वृद्धि करने पर केंद्रित होता है. 20. जितना देता है, उसका एक हिस्सा उसे उपभोक्ता वस्तुएं बेचकर अधिलाभ के रूप में पुनः वापस ले लेता है.