11. मात्र से सम्पूर्ण पाप भस्म हो जाते है, जो अभक्त है, उसे शिव भक्ति 12. इससे ठीक विपरित अभक्त को अन्तरात्मा की आवाज सुनाई पडनी बंद हो जाती है । 13. भक्त समझ जाता है और अभक्त समझ ही नही पाता कि भगवान बहुत दयालु हैं. 14. बोले, ‘ अभक्त के हाथ से जीने की अपेक्षा भक्त के हाथ से मरना कहीं बेहतर है। 15. कुछ लोग जो प्रतिदिन मंदिर जाते हैं वह दूसरों को अभक्त समझते हैं जो कि उनके अज्ञान का प्रमाण है। 16. कुछ लोग जो प्रतिदिन मंदिर जाते हैं वह दूसरों को अभक्त समझते हैं जो कि उनके अज्ञान का प्रमाण है। 17. एक प्रश्न सामने आता है कि भक्त मरते हैं और अभक्त भी मरते हैं फिर दोनों में अन्तर क्या है? 18. वे अभक्त को भक्ति दे सकते हैं, योग दे सकते हैं, ज्ञान दे सकते हैं और ईश्वराभिमुख बना सकते हैं। 19. प्रभु भक्ति का बल देखें कि हमें अन्तरात्मा का दिशानिर्देश प्राप्त कराती रहती है जो अभक्त को कभी नहीं प्राप् त होता । 20. यद्यपि क्षत्रियों ने उनका थोड़ा-सा ही अपराध किया था-फिर भी वे लोग बड़े दुष्ट, ब्राह्मणों के अभक्त , रजोगुणी और विशेष करके तमोगुणी हो रहे थे।