11. कुल सौर पृथ्वी के वायुमंडल, महासागर और भूमि जनता द्वारा अवशोषित ऊर्जा लगभग 3,850,000 है. 12. इस प्रकार परमाणु द्वारा अवशोषित ऊर्जा निष्कासित ऊर्जा की तुलना में सदा अधिक प्रतीत होती है। 13. यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि निष्कासित ऊर्जा अवशोषित ऊर्जा की तुलना में अधिक है। 14. यह मानते हुए कि पृथ्वी उष्ण संतुलन में है, अवशोषित ऊर्जा अवश्य ही उत्सर्जित ऊर्जा के बराबर होनी आवश्यक है: 15. यह मानते हुए कि पृथ्वी उष्ण संतुलन में है, अवशोषित ऊर्जा अवश्य ही उत्सर्जित ऊर्जा के बराबर होनी आवश्यक है: 16. पर बाद के अध्ययन से सिद्ध हुआ कि यह पूर्णतया सत्य नहीं है, अर्थात् निष्कासित ऊर्जा अवशोषित ऊर्जा से अधिक हो सकती है। 17. अवशोषित ऊर्जा ही विशिष्ट ऊष्मा प्रदान करती है, जिससे ताप में वृद्धि होती है या फिर वह गुप्त ऊष्मा का रूप धारण कर लेती है।18. अवशोषित ऊर्जा ही विशिष्ट ऊष्मा प्रदान करती है, जिससे ताप में वृद्धि होती है या फिर वह गुप्त ऊष्मा का रूप धारण कर लेती है।19. अवशोषित ऊर्जा ही विशिष्ट ऊष्मा प्रदान करती है, जिससे ताप में वृद्धि होती है या फिर वह गुप्त ऊष्मा का रूप धारण कर लेती है।20. जब सौर ऊर्जा उन पदार्थों के ऊपर पड़ती है तो ये पदार्थ उस ऊर्जा का कुछ भाग सोख लेते हैं और उस अवशोषित ऊर्जा से इलेक्ट्रान पैदा होते हैं।