प्रस्ताव में कहा गया कि आर्थिक नीति का मुख्य उद्देश्य बजट में आय तथा व्यय के बीच, आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच, समृद्धि तथा विकास के बीच, विकास तथा रोजगार सृजन के बीच, कृषि तथा उद्योग के बीच, अमीर तथा गरीब के बीच और राष्ट्र तथा वैश्विक नीतियों आदि के बीच संतुलन स्थापित करना है।
12.
व्यग्धपज्ज: “ भन्ते!! समजीविता क्या है? ” “ यहाँ पर व्यग्धपज्ज, एक गृहस्थ अपनी आय तथा व्यय जानते हुये एक संतुलित जीवन यापन करता है, न फ़िजूलखर्ची न कंजूसी, यह जानते हुये कि उसका आय व्यय से बढकर रहेगी, न कि उसका व्यय आय से बढकर. “
13.
4. श्रम, आय तथा व्यय का संतुलन-एक बार किसी फसल के लिए अच्छी तैयारी करने पर, दूसरी फसल बिना विशेष तैयारी के ली जा सकती है और अधिक खाद चाहने वाली फसल को पर्याप्त मात्रा में खाद को देकर, शेष खाद पर अन्य फसलें लाभके साथ ली जा सकती है, जैसे आलू के पश्चात् तंबाकू, प्याज या कद्दू आदि।
14.
4. श्रम, आय तथा व्यय का संतुलन-एक बार किसी फसल के लिए अच्छी तैयारी करने पर, दूसरी फसल बिना विशेष तैयारी के ली जा सकती है और अधिक खाद चाहने वाली फसल को पर्याप्त मात्रा में खाद को देकर, शेष खाद पर अन्य फसलें लाभके साथ ली जा सकती है, जैसे आलू के पश्चात् तंबाकू, प्याज या कद्दू आदि।
15.
ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि गरीबी को एक असमाधेय समस्या के रूप में निरूपित कर नरेगा जैसी कुछेक योजनाओं द्वारा थोड़ा-बहुत लाभ एक सीमित आबादी तक पहुंचाया जाता है लेकिन भूमि सुधार, आय तथा व्यय पर करों द्वारा नियंत्रण तथा पुनर्वितरण जैसे बड़े और समस्या के जड़ पर प्रहार करने वाले उपाय सरकारों की कार्यसूची में शामिल ही नहीं होते।
16.
ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि गरीबी को एक असमाधेय समस्या के रूप में निरूपित कर नरेगा जैसी कुछेक योजनाओं द्वारा थोड़ा-बहुत लाभ एक सीमित आबादी तक पहुंचाया जाता है लेकिन भूमि सुधार, आय तथा व्यय पर करों द्वारा नियंत्रण तथा पुनर्वितरण जैसे बड़े और समस्या के जड़ पर प्रहार करने वाले उपाय सरकारों की कार्यसूची में शामिल ही नहीं होते।
17.
जैसे कि एक तुलाधर सुनार, या उसका शार्गिद तराजू पकडकर जानता है कि कितना झुक गया है, कितना उठ गया है,उस प्रकार एक गृहस्थ अपनी आय तथा व्यय को जान कर संतुलित जीवन जीता है, न वह बेहद खर्चीला न बेहद कंजूस, इस प्रकार समझते हुये कि उसकी आय व्यय से बढकर रहेगी न कि उसका व्यय आय से अधिक होगा.”
18.
4. श्रम, आय तथा व्यय का संतुलन-एक बार किसी फसल के लिए अच्छी तैयारी करने पर, दूसरी फसल बिना विशेष तैयारी के ली जा सकती है और अधिक खाद चाहने वाली फसल को पर्याप्त मात्रा में खाद को देकर, शेष खाद पर अन्य फसलें लाभके साथ ली जा सकती है, जैसे आलू के पश्चात् तंबाकू, प्याज या कद्दू आदि।
आय तथा व्यय sentences in Hindi. What are the example sentences for आय तथा व्यय? आय तथा व्यय English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.