11. सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (Magnoliophyta, माग्नोल्योफ़्इउता) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। 12. आवृतबीजी पौधों में बीज बंद रहते हैं और इस प्रकार यह अनावृतबीजी से भिन्न हैं।13. आवृतबीजी पौधों में बीज बंद रहते हैं और इस प्रकार यह अनावृतबीजी से भिन्न हैं।14. समुद्र में केवल आदिम समूह थैलोफ़ाइटा (Thallophyta) और कुछ आवृतबीजी (Angiosperm) पौधे ही पाए जाते हैं। 15. उत्तम कोटि के पादप, जैसे अनावृतबीजी तथा आवृतबीजी की लगभग ३०,००० जातियाँ इस देश में पाई जाती हैं। 16. आवृतबीजी वृक्षों व पौधों में मोनोकॉटऔर डायकॉट का अंतर उन पौधों के रूप में बहुत दिखाई देता है: [1]17. सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (Magnoliophyta, माग्नोल्योफ़िता) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। 18. समुद्र में केवल आदिम समूह थैलोफ़ाइटा (Thallophyta) और कुछ आवृतबीजी (Angiosperm) पौधे ही पाए जाते हैं। 19. राज्य में आवृतबीजी वनस्पतियों की 5000 प्रजातियां पाई जाती हैं जो देश भर में पाई जाने वाली आवृतबीजी प्रजातियों का एक तिहाई है। 20. राज्य में आवृतबीजी वनस्पतियों की 5000 प्रजातियां पाई जाती हैं जो देश भर में पाई जाने वाली आवृतबीजी प्रजातियों का एक तिहाई है।