नारियाँ अपने मृदु, भावमय एवं स्नेहिल हृदय के कारण, अपनी त्यागशीलता या समर्पण-भावना के कारण आत्मोन्नति या ईश्वर-साक्षात्कार के क्षेत्र में आसानी से और सचमुच ही आगे बढ सकती है, इसमें कोई संदेह नहीं ।
12.
जो मन, वचन, कर्म से पवित्र हैं, इन्द्रियों पर जिनका संयम है, जिनको शास्त्रों का ज्ञान है, जो सत्यव्रती एवं प्रशांत हैं, जिनको ईश्वर-साक्षात्कार हुआ है वे गुरू हैं।
13.
मानव-शरीर प्राप्त होने पर ही तो ज्ञात होता है कि यह शरीर नश्वर और विश्व परिवर्तनशीन है और इस प्रकार धारणा कर इन्द्रिय-जन्य विषयों को तिलांजलि देकर तथा सत्-असत् क् विवेक कर ईश्वर-साक्षात्कार किया जा सकता है ।
14.
मानव-शरीर प्राप्त होने पर ही तो ज्ञात होता है कि यह शरीर नश्वर और विश्व परिवर्तनशीन है और इस प्रकार धारणा कर इन्द्रिय-जन्य विषयों को तिलांजलि देकर तथा सत्-असत् क् विवेक कर ईश्वर-साक्षात्कार किया जा सकता है ।
15.
वाहवाही करने वाले तो बहुत मिल जाते हैं किन्तु तुम महान् बनो इस हेतु से तुम्हें सत्य सुनाकर सत्य परमात्मा की ओर आकर्षित करने वाले, ईश्वर-साक्षात्कार के मार्ग पर ले चलने वाले महापुरुष तो विरले ही होते हैं।
16.
माँ आनंदमयी पर श्री योगेश्वरजी का लेख नारियाँ अपने मृदु, भावमय एवं स्नेहिल हृदय के कारण, अपनी त्यागशीलता या समर्पण-भावना के कारण आत्मोन्नति या ईश्वर-साक्षात्कार के क्षेत्र में आसानी से और सचमुच ही आगे बढ सकती है, इसमें कोई संदेह नहीं।
17.
इस बीच इतना कह देना आवश्यक हैं कि ईश्वर-साक्षात्कार के लिए जो लोग मेरी व्याख्या वाले ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं, वे यदि अपने प्रयत्न के साथ ही ईश्वर पर श्रद्धा रखने वाले हो, तो उनके निराशा का कोई कारण नही रहेगा ।
18.
परमहंस योगानन्दजी ने मनमोहक सुस्पष्टता वक्तृता और विनोदपूर्ण रूप से अपने जीवन का यह प्रेरणाप्रद वृत्तान्त-अपने विलक्षण बाल्यकाल के अनुभव, किशोरावस्था में एक दिव्य गुरु की खोज करते हुए विविध संतों एवं ऋषियों के साथ अपनी भेंट, अपने ईश्वर-साक्षात्कार प्राप्त गुरु के आश्रम में प्रशिक्षण के दस वर्ष, और बहुत से वर्ष जो उन्होंने आध्यात्मिक गुरु के रूप में सारे विश्व में सत्य की खोज कर रहे साधकों के प्रशिक्षण में व्यतीत किये-प्रस्तुत किया है।
19.
यह शरीर धारण करके जो काम, क्रोध, राग, द्वेष और अपनी प्रकृति के अन्य मलिन तत्वों के साथ लडकर विजयी बनते हैं, संसार के विषयों की मोहिनी में से मन को प्रतिनिवृत करके इश्वर के स्वरूप में जोड़ते है, मन व इन्द्रियों पर संयम स्थापित करते है और इस तरह ईश्वर-साक्षात्कार का अनुभव कर अज्ञान एवं अशांति में से छुटकारा प्राप्त कर धन्य बनते हैं, उनके द्वारा किया हुआ चमत्कार निराला, अमूल्य एवं आशीर्वाद स्वरूप है ।
20.
परमहंस योगानन्दजी ने मनमोहक सुस्पष्टता वक्तृता और विनोदपूर्ण रूप से अपने जीवन का यह प्रेरणाप्रद वृत्तान्त-अपने विलक्षण बाल्यकाल के अनुभव, किशोरावस्था में एक दिव्य गुरु की खोज करते हुए विविध संतों एवं ऋषियों के साथ अपनी भेंट, अपने ईश्वर-साक्षात्कार प्राप्त गुरु के आश्रम में प्रशिक्षण के दस वर्ष, और बहुत से वर्ष जो उन्होंने आध्यात्मिक गुरु के रूप में सारे विश्व में सत्य की खोज कर रहे साधकों के प्रशिक्षण में व्यतीत किये-प्रस्तुत किया है।
ईश्वर-साक्षात्कार sentences in Hindi. What are the example sentences for ईश्वर-साक्षात्कार? ईश्वर-साक्षात्कार English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.