11. उन्मुक्त प्रेम , प्रकृतिवर्णन, तथा स्वच्छंद रोमानी भावना का निसर्ग प्रवाह कलापी की कविता में है।12. उन्मुक्त प्रेम , प्रकृतिवर्णन, तथा स्वच्छंद रोमानी भावना का निसर्ग प्रवाह कलापी की कविता में है।13. AMविवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश करती एक पुस्तकमंगलायतन प्रेम ना हाट बिकाये हौट है 14. विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश है ‘प्रेम न हाट बिकाय ' उपन्यास: रवीद्र प्रभात 15. जॉन का तर्क था कि अगर लोग उन्मुक्त प्रेम का रास्ता अख्तियार करें तो समाज नए रंग में आ जाएगा। 16. यह भी सही है कि कन्ट्रासेप्टिव के आ जाने से उन्हें उन्मुक्त प्रेम की सुविधा भी हासिल हो गयी है। 17. बस सीधे-सीधे आप यह समझें कि विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश है यह उपन्यास । 18. विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश करती एक पुस्तक मंगलायतन प्रेम ना हाट बिकाये हौट है 19. राजे-महाराजे और प्रभावशाली लोग विवाह संस्था से कभी नहीं बंधे रहे और उनके उन्मुक्त प्रेम को समाज की स्वीकृति प्रदान थी। 20. राजे-महाराजे और प्रभावशाली लोग विवाह संस्था से कभी नहीं बंधे रहे और उनके उन्मुक्त प्रेम को समाज की स्वीकृति प्रदान थी।