11. इसका उपयोग तीव्र कोष्ठबद्धता, जलोदर, ऋतुस्राव तथा गर्भस्राव में भी किया जा सकता है। 12. इसी को मासिकधर्म अथवा ` रजोदर्शन ` अथवा ऋतुस्राव आदि नामों से जाना जाता है। 13. सामान् य तौर पर ऋतुस्राव के दौरान स्त्रियों के रक् त की हानि होती है। 14. ऋतुस्राव दुर्गन्धित, विपुल मात्रा में, गहरे रंग का, थक्केदार; कपड़ों पर पड़ा हुआ दाग नहीं छूटता.15. जिस दिन मासिक ऋतुस्राव शुरू हो उस दिन व रात को प्रथम मानकर गिनती करना चाहिए। 16. जिस दिन मासिक ऋतुस्राव शुरू हो उस दिन व रात को प्रथम मानकर गिनती करना चाहिए। 17. जिस दिन मासिक ऋतुस्राव शुरू हो उस दिन व रात को प्रथम मानकर गिनती करना चाहिए। 18. यह स्त्रियों का ऋतुस्राव (मासिक-धर्म) साफ करती है और गर्भाशय का संकोचन करती है। 19. स्त्री--ऋतुस्राव अल्प मात्रा में, रुक-रुक कर होने वाला; मितली औरनिम्ना-भिमुखी दबाव; बाह्य जननेन्द्रियों में गड़ती वेदना. 20. कई स्थूलकाय स्त्रियों के गर्भाशय और डिम्बाशय कठोर हो जाते हैं, जिससे उनको ऋतुस्राव कम मात्रा में होता है।