11. चर अचर सभी काल, कर्म और गुणों से भरे हुए (उनके वशीभूत हुए)12. न जाने क्यों हमें मनुष्य जितना और चर अचर प्राणियों के बीच में अच्छा 13. वह चर अचर अति सूक्ष्म है जाना नहीं जाता कभी || १३. १५ || 14. हमारी सभ्यता “विश्व के मानव ही नहीं चर अचर से, प्रकृति व सृष्टि के कण कण से प्यार ” सिखाती है.. 15. इस जगत में चर अचर स्थावर जंगम जो भी प्राणी हैं सभी फंडामय प्रतीत होते हुए भी वास्तव में फंडमय हैं. ' 16. भारतीय संस्कृति के अनुसार यह सारी सृश्टि न केवल यहां के अरबों खरबों जीव जन्तुओं व चर अचर सबके लिए समान है। 17. हमारी सभ्यता “ विश्व के मानव ही नहीं चर अचर से, प्रकृति व सृष्टि के कण कण से प्यार ” सिखाती है.. 18. बिंदु को आकाश की संज्ञा दी जाती है क्योंकि पृथ्वी पर स्थित समस्त चर अचर जगत का आरंभिक बिंदु या जड़ आकाश ही है। 19. ‘पूरे विश्व में मानवता की मीठी धूप में, सारे चर अचर सहज खुशियों की अनूभूति के साथ अपने जीवन काल के हर पल बितायें।' 20. प्रकृति से लेकर चर अचर तक शक्ति रूप में जो कुछ भी श्रृष्टि में निहित उपस्थित है, वह माता का ही रूप है.