11. हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार पूरे वर्ष में 12 चान्द्र मास होते हैं. 12. मातृका के भी स्वर स्पर्श और व्यापक तीन खंड चान्द्र सौर आग्नेय रूप है। 13. यह चान्द्र वर्ष है एवं हमारे सभी पर्वों एवं सांस्कृतिक उत्सवों का आधार है। 14. औशीनरी कितना मधुर स्वप्न! कैसी कल्पना चान्द्र महिमा की! नारी का स्वर्णिम भविष्य! जानें, वह अभी कहाँ है! 15. इस तरह हम पाते हैं कि तीन वर्षों में जहाँ संक्रांतियाँ केवल 36 होंगी वहीं चान्द्र मास 37 हो जाएंगे। 16. पूजने का सुझाव देने के पीछे इब्राहीम अलफजारी के मुस्लिम चान्द्र वर्ष सारणी एवं सिंद हिंद जैसे ग्रंथ रहे हैं । 17. इस प्रकार ‘ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ' को चान्द्र सौर पद्धति के अनुसार कालगणना हेतु ‘ वर्षारम्भ ' स्वीकृत किया गया है। 18. ऋषि तुल्य पूजने का सुझाव देने के पीछे इब्राहीम अलफजारी के मुस्लिम चान्द्र वर्ष सारणी एवं सिंद हिंद जैसे ग्रंथ रहे हैं । 19. वाराही संहिता में भी ऐसे सिद्धान्त आए हैं जिनके द्वारा जलचर चान्द्र नक्षत्रों के दिनों में वर्षा का आयोजन किया जा सकता है। 20. भारतीय सिद्धान्त ज्योतिष में भी चान्द्र सौर पद्धति स्वीकृत होने के कारण ‘ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ' ही वर्षारम्भ के रूप में स्वीकृत है।