11. जैव घडी को धता बताके सांस लेते चले जाने का नतीजा है सोशल जेट लेग12. हमारी जैव घडी सिर्फ हमारे दिन और रात के चक्र बोध को असर ग्रस्त करती है. 13. सूरज का चढ़ना (चिड़ियों का चहचहाना न भी हो) उनकी जैव घडी पहचानती है. 14. वास्तव में इनकी जैव घडी एकदम से सटीक होती है २ ४ / ७ काम करती है. 15. मानो कि जैसे कोई जैव घडी हो जैसे ही यह घडी शुरू होती है हम बूढे हो जाते हैं। 16. जहां आपकी जैव घडी के मुताबिक़ दिन होना चाहिए था वहां रात है और रात की जगह दिन. 17. स्टाफ कम काम ज्यादा. लेकिन आपको तो इस कीमत अपनी जैव घडी से भी चुकानी पडती है. 18. गडबड तब होती है जब इस जैव घडी को हम अपने हिसाब से चलाने की हिमाकत करने लगतें हैं. 19. पृथ्वी पर जीवन के शुरूआती दौर से यही जैव घडी जीव रूपों की दैनिक गतिविधियों को चलाती आई है । 20. हममे से बहुलांश के मामलों में इस जैव घडी के कम्पन दिन के प्रकाश से दुरुस्त हो जातें हैं.