11. यह रोग अधिकतर स्कारलेट फीवर या डिफ्थीरिया होने के कारण हो जाता है। 12. यह औषधि डिफ्थीरिया के बाद अर्धांग का आक्रमण होने पर भी उपयोगी है। 13. भाप लेने से सर्दी-जुकाम, डिफ्थीरिया , टॉसिलाइटिस और साइनसइटिस आदि रोग दूर होते हैं। 14. डिफ्थीरिया के बाद के पक्षाघात रोग में भी इस औषधि का प्रयोग किया जा सकता है।15. डिफ्थीरिया में गले की मृत झिल्लियों को हटाने के लिए इसके रस की कुल्ली करते हैं।16. डिफ्थीरिया और क्रुप रोग में भी ब्रोमम औषधि का प्रयोग विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।17. डिफ्थीरिया , टिटैनस आदि रोगों की इसी प्रकार तैयार किए गए ऐंटीटॉक्सिक सीरम से चिकित्सा की जाती है।18. डिफ्थीरिया , टिटैनस आदि रोगों की इसी प्रकार तैयार किए गए ऐंटीटॉक्सिक सीरम से चिकित्सा की जाती है।19. डिफ्थीरिया , टिटैनस आदि रोगों की इसी प्रकार तैयार किए गए ऐंटीटॉक्सिक सीरम से चिकित्सा की जाती है।20. बालकों के घातक रोगों में टिटैनस, डिफ्थीरिया , यक्ष्मा, मेनेन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस, न्यूमोनिया, बाल यकृतशोथ आदि हैं।