11. सुमन्त्रित होना और संग्राम में तत्पर होना वर्णन करे; हम लोगों की आँख के 12. का व्यक्तिबद्ध दशा से मुक्त और हल्का होकर अपनी क्रिया में तत्पर होना ही 13. सहायता में तत्पर होना सामाजिक प्राणी का जन्म-सिद्ध स्वभाव, सम्भवत: मनुष्यता का पूर्ण निदर्शन है। 14. लेकिन ओरोविल में रहने के लिए व्यक्ति को दिव्य चेतना की सेवा के लिए तत्पर होना चाहिए. 15. कान फाडने को तत्पर होना कष्ट सहन की शक्ति, दृढ़ता और वैराग्य का बल प्रकट करता है। 16. यह प्रश्न हमें अपने आप से पूछना हैं और युगानुमूल समाधान की खोज के लिए तत्पर होना हैं। 17. कान फाडने को तत्पर होना कष्ट सहन की शक्ति, दृढ़ता और वैराग्य का बल प्रकट करता है। 18. जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए। 19. जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए। 20. जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए।