11. कृष्ण कहते हैं कि अव्यय ब्रह्म के धातु रूप ज्ञान और कर्म को समान अवस्था में रखना चाहिए। 12. कृष्ण कहते हैं कि अव्यय ब्रह्म के धातु रूप ज्ञान और कर्म को समान अवस्था में रखना चाहिए। 13. पारा धातु रूप में बुध-केतु एवं गुरु-केतु के दोष को दूर करने के काम में आता है. 14. [1] धातु रूप में यह विषैला (टॉक्सिक) नहीं होता, किन्तु जलाने पर यह विषैला प्रभाव छोड़ता है। 15. का प्रयोग इस चेतावनी के साथ करेगा कि धातु रूप आगया सूचक वाक्यों में परिमित है और वास्तव में अन्य निर्माण में गैर-परिमित है. 16. धातु रूप भाग वह लालरक्त, श्वेत रक्त और चक्रिकाओं के रूप में यकृत, प्लीहा, मज्जा के भीतर प्रस्तुत होता है ।।17. इसलिए शास्त्रों का निर्देश है कि जब भी वास्तु का निर्माण हो, वहां धातु रूप में कूर्माकृति (कछुए की आकृति) का निवेश किया जाना चाहिए। 18. इस पर ब्रह्मघातक सुवर्ण को शिवजी ने बुलाया और श्राप दिया कि उसका शरीर बल के सहित विकारमय हो जाए तथा धातु रूप बन जाए। 19. इस पर ब्रह्मघातक सुवर्ण को शिवजी ने बुलाया और श्राप दिया कि उसका शरीर बल के सहित विकारमय हो जाए तथा धातु रूप बन जाए। 20. मोनियर विलियम्स के कोश का हवाला दे रहा हूँ जहाँ कर्ष की मूल धातु कृष् है और धातु रूप में कृष् की प्रविष्टि भी समानार्थी ही है।