11. कर-प्रकाश! आओ, नक्षत्र-पुरुष,गगन-वन-विहारीपरम व्योमचारी!आओ तुम, दीपों को निरावरण करे निशा!चरणों में स्वर्ण-हासबिखरा दे... 12. उस गांव में मेरे आलावा हर स्त्री और पुरुष निरावरण रहता था। 13. आओ तुम, दीपों को निरावरण करे निशा! चरणों में स्वर्ण-हास बिखरा दे दिशा-दिशा! 14. का भी विकास होता गया और नए नए रहस्यों का निरावरण संभव हुआ। 15. आओ तुम, दीपों को निरावरण करे निशा! चरणों में स्वर्ण-हास बिखरा दे दिशा-दिशा! 16. अंबर में सिर, पाताल चरण मन इसका गंगा का बचपन तन वरण-वरण मुख निरावरण 17. जन्म जन्मान्तरों के कलुमश मिटाती थीं जब प्रभु गोपियों को निरावरण हो सामने बुलाते हैं 18. ÷ निरावरण वह ' कवि की सघन संवेदना और कलात्मकता के सन्तुलन की अदभुत बानगी है। 19. निरावरण करे निशा! चरणों में स्वर्ण-हास बिखरा दे दिशा-दिशा! पा कर आलोक, मृत्यु-लोक हो सुखारी... अद्भुत.20. पंकज की एक कविता ` निरावरण वह ` बहुत आश्चर्यजनक रूप से अशोक वाजपेयी की याद दिलाती है।