11. प्रसव के पश्चात प्रसूता स्त्री एवं परिवार के अन्य सदस्य प्रायः नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने लगते हैं। 12. प्रसूता स्त्री के शरीर पर अजवाइन का चूर्ण मलने से प्रसव के कारण हुई शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है ।13. इसे प्रसूता स्त्री को प्रसव के बाद दिन में 2 बार सेवन कराने से स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। 14. चूंकि यह कार्य हॉस्पिटलों में ही होता है इसलिए प्रसूता स्त्री को केवल अपने हित में डॉक्टर के काम में सहयोग देना चाहिए। 15. प्रसूता स्त्री को प्रसव काल से ही इसका सेवन शुरू कर देना चाहिए और कम से कम 40 दिन तक अवश्य लेना चाहिए।16. दूध रोकने का उपाय भी बताया है कि प्रसूता स्त्री स्तन के छिद्र पर उस औषधि का लेप करें जिससे दूध स्रवित न हो। 17. सूतिका ज्वर यदि ठीक न हो तो प्रसूता स्त्री के शरीर और स्वास्थ्य के लिए तपेदिक के समान नाशक और घातक सिद्ध होता है। 18. सौंफ के पत्तों का काढ़ा प्रसूता स्त्री को पिलाने से खून साफ होता है गर्भाशय की शुद्धि होती है और सभी रक्तविकार दूर होते हैं। 19. प्रसव में देरी हो तो गूलर की छाल को कूटकर पानी में अच्छी तरह पकाकर प्रसूता स्त्री को पिलाएं इससे प्रसव होने में आसानी हो जाती है। 20. वैज्ञानिक तथ्य यह है कि सद्य: प्रसूता स्त्री के देह से एक खास किस्म की गंध निकलती है, जो घर की अन्य महिलाओं के देह से नहीं निकलती।