11. इसलिए नारी की एकनिष्ठता से पुरुष के खुले या छिपे बहुपत्नीत्व में कोई बाधा नहीं पड़ती थी। 12. इस्लाम में बहुपत्नीत्व का प्रचलन है जो नारी के शोषण तथा उसके प्रति दुर्व्यहार व अत्याचार है। 13. आदमी के लिए, समाज पर निर्भर करता है, बहुपत्नीत्व वास्तव में एक खुला संबंध भी नहीं था. 14. आज के दिन हर मां को नमन! जिस दिन इस सीरियल में बहुपत्नीत्व पर बात आएगी उस दिन इस पोस्ट को पढ़ूंगा। 15. क्या बहुपत्नीत्व का समर्थन करके पूरी स्त्रीजाति को अपमानित करने की यह बेहद घटिया और शर्मनाक साज़िश नहीं है?) 16. क्या बहुपत्नीत्व का समर्थन करके पूरी स्त्रीजाति को अपमानित करने की यह बेहद घटिया और शर्मनाक साज़िश नहीं है?) 17. इस प्रकार इस्लाम ने ‘ बहुपत्नीत्व ' का प्रचलन आरंभ नहीं किया बल्कि ‘ अधिकतम सीमा ' का निर्धारण व नियंत्रण किया। 18. आगे वह ऐसे चार कारण देता है जिनके मुताबिक बहुपत्नीत्व की आज्ञा क्यों दी गई है तथा बहुपतित्व की आज्ञा क्यों नहीं है- 19. महिलाओं की जबरिया शादियां करवाने पर रोक, बहुपत्नीत्व आदि रिवाजों को हतोत्साहित करना आदि प्रगतिशील बदलाव भी सामंती ताकतों के गले नहीं उतरे। 20. आगे वह ऐसे चार कारण देता है जिनके मुताबिक बहुपत्नीत्व की आज्ञा क्यों दी गई है तथा बहुपतित्व की आज्ञा क्यों नहीं है-