11. * विचार बिन्दु-इनके मतानुसार व्यवहार में बाह्यार्थ की सत्ता मान्य है। 12. योगाचार मतानुसार समस्त बाह्यार्थ आलयविज्ञान या मनोविज्ञान में स्थित वासना के परिणाम होते हैं। 13. कोई मात्र ज्ञान का, कोई मात्र बाह्यार्थ का और कोई शब्दमात्र का निरूपण करते थे। 14. बाह्यार्थ की सत्ता एवं ज्ञान की साकारता को मानते हुए उन्होंने विषय का निरूपण किया है।15. इसमें प्रत्ययों के बाह्यार्थ और अंतरार्थ होते हैं और वे परस्पर प्रकार्यात्मक संबंधों में बँधे रहते है। 16. ये व्यवहार में बाह्यार्थ की सत्ता नहीं मानते, अत: तीनों धातुओं की विज्ञप्तिमात्र व्यवस्थापित करते हैं। 17. बाह्यार्थ का अभाव एवं विज्ञान की सत्ता सिद्ध करने के लिए परमाणु का निषेध करना आवश्यक होता है।18. इनकी वाणी की प्रवृत्ति अंतर्वृत्ति निरूपण की ओर ही विशेष रहने के कारण बाह्यार्थ निरूपक रचना कम मिलती है। 19. इनकी वाणी की प्रवृत्ति अंतर्वृत्ति निरूपण की ओर ही विशेष रहने के कारण बाह्यार्थ निरूपक रचना कम मिलती है। 20. * बाह्यार्थसिद्धि कारिका में जो विज्ञानवादी बाह्यार्थ नहीं मानते, उनका खण्डन करके सप्रमाण बाह्यार्थ की सत्ता सिद्ध की गई है।