11. तो जब वो अपनी मीआद तक को पहुंचने को हों (7) (7) यानी इद्दत आख़िर होने के क़रीब हो. 12. कहां से लाए जाते हो और किधर पलटाए जाते हो? हर मीआद (अवधि) का एक नविश्ता (लेख) होता है। 13. जब उन्हों ने देखा कि उस मीआद पर लश्कर आ गए तो कहा यह है वह जो हमें अल्लाह और उसके रसूल ने वादा दिया था. 14. और हम ठहराए रखते हैं माओ के पेट में जिसे चाहें एक निश्चित मीआद तक (15) (15) यानी पैदायश के वक़्त तक. 15. और एक निश्चित मीआद से, (12) (12) यानी हमेशा के लिये नहीं बनाया, बल्कि एक मुद्दत निर्धारित कर दी है. 16. तो ज़मीन की पीठ पर कोई चलने वाला न छोड़ता लेकिन एक मुक़र्रर (निश्चित) मीआद (20) (20) यानी क़यामत के दि न. 17. (27) और हर उम्मत के लिये एक मीआद निश्चित न कर दी गई होती या आमाल का बदला क़यामत तक उठाकर न रखा गया होता. 18. हर एक, एक मुक़र्रर (निश्चित) मीआद तक चलता है (18) (18) यानी क़यामत के दिन तक या अपने अपने निर्धारित समय तक. 19. तो बेशक अल्लाह की मीआद ज़रूर आने वाली है (8) (8) उसने सवाब और अज़ाब का जो वादा फ़रमाया है ज़रूर पूरा होने वाला है. 20. और ये राह नहीं देखते मगर एक चीख़ की (1) (1) यानी क़यामत के पहले सूर के फूंके जाने की, जो उनके अज़ाब की मीआद है.