11. तुलसीदास द्वारा वर्णित जनकपुर के बगीचे में उत्पन्न सीता और राम का युगपत् प्रेम बराबर सम रहा। 12. उन धर्मों को यहाँ कहा नहीं जा रहा है क्योंकि शब्द सभी धर्मों को युगपत् संकेतित नहीं कर सकते। 13. साहित्य निसर्गतः द्वयर्थकता से भरा हुआ है और एक ही रूप में अनेक अर्थ युगपत् कार्यान्वित हो सकते हैं। 14. वह युगपत् समान रूप से प्रत्येक कला में पारंगत होगा, या यों कहें कि वह ‘सब' को ‘एक' में परिण्त कर लेगा। 15. सहसा साक्षात्कार के द्वारा प्रेम के युगपत् आविर्भाव में उक्त पूर्वापर क्रम नहीं होता इसलिए उसमें प्रेमी और प्रिय का भेद नहीं होता। 16. यह इतिहास बोध जो कालातीत तथा कालिक का पृथक-पृथक और कालातीत तथा कालिक का युगपत् बोध है, लेखक को पारंपरिक बनाता है । 17. यह इतिहास बोध जो कालातीत तथा कालिक का पृथक-पृथक और कालातीत तथा कालिक का युगपत् बोध है, लेखक को पारंपरिक बनाता है । 18. जिस प्रकार सूर्य का उदय एवं अन्धकार की निवृत्ति युगपत् है, उसी प्रकार भोगासक्ति की निवृत्ति और आवश्यकता की जागृति युगपत् है । 19. जिस प्रकार सूर्य का उदय एवं अन्धकार की निवृत्ति युगपत् है, उसी प्रकार भोगासक्ति की निवृत्ति और आवश्यकता की जागृति युगपत् है । 20. भूत, भविष्यत और वर्तमान तीनों कालों से संबंधित और तीनों लोकों में विद्यमान समग्र पदार्थों को युगपत् जानने वाला ज्ञान केवलज्ञान कहा गया है।