11. परन्तु व्रत काल में यदि रजोदर्शन हो जाए तो व्रत खंडित नहीं माना जाता है। 12. इसी को मासिकधर्म अथवा ` रजोदर्शन ` अथवा ऋतुस्राव आदि नामों से जाना जाता है। 13. उसके पश्चात द्वितीय रजोदर्शन तक स्त्री प्रसंग अहेतुक अर्थात काम त्रिपत्यर्थ हो जाता है । 14. इसे हम परिपक्वता पूर्व रजोदर्शन (प्रीमेच्योर मेनार्च) के रूप में देख सकते हैं। 15. उसके पश्चात द्वितीय रजोदर्शन तक स्त्री प्रसंग अहेतुक अर्थात काम त्रिपत्यर्थ हो जाता है । 16. पुत्रार्थी के लिए रजोदर्शन से आगे के विषम दिन भी गर्भाधान के लिए त्याज्य हैं । 17. गिनना चाहिए रात्रि के तीसरे भाग में रजोदर्शन हुआ हो तो दूसरे दिन को प्रथम दिन 18. आपके पहले मासिक धर्म को रजोदर्शन (मेनार्च) के रूप में उल्लेखित किया जाता है। 19. पुत्रार्थी के लिए रजोदर्शन से आगे के विषम दिन भी गर्भाधान के लिए त्याज्य हैं । 20. आमतौर पर लड़कियों में 14 से 15 वर्ष की की उम्र में रजोदर्शन होने लगता है।