11. हिन्दी वर्तमानकालिक वाक्य रचनाओं के अन्त में ‘हूँ ', ‘है', ‘हो' जैसी सहायक क्रियाएँ अवश्य लगती हैं। 12. हि न्दी वर्तमानकालिक वाक्य रचनाओं के अन्त में ‘हूँ ', ‘है', ‘हो' जैसी सहायक क्रियाएँ अवश्य लगती हैं। 13. हिन्दी की तरह राजस्थानी के वर्तमानकालिक क्रिया रूप सहायक क्रियायुक्त शतृप्रत्ययांत विकसित रूप न होकर शुद्ध तद्भव रूप हैं। 14. हिन्दी की तरह राजस्थानी के वर्तमानकालिक क्रिया रूप सहायक क्रियायुक्त शतृप्रत्ययांत विकसित रूप न होकर शुद्ध तद्भव रूप हैं। 15. (10) हिंदी की तरह राजस्थानी के वर्तमानकालिक क्रिया रूप सहायक क्रियायुक्त शतृप्रत्ययांत विकसित रूप न होकर शुद्ध तद्भव रूप हैं। 16. हिन्दूकुश के दक्षिणी पहाड़ी देशों में एक चौथी भाषा भी पाई जाती है, जिसको डार्डिक अथवा वर्तमानकालिक पिशाचभाषा कहते हैं। 17. यहाँ पर ब्रह्मांडपुराण की जो प्राचीन प्रतियाँ मिलती हैं देखना चाहिए कि उनमें भूत और वर्तमानकालिक क्रिया का प्रयोग कहाँ तक है । 18. यहाँ पर ब्रह्मांडपुराण की जो प्राचीन प्रतियाँ मिलती हैं देखना चाहिए कि उनमें भूत और वर्तमानकालिक क्रिया का प्रयोग कहाँ तक है । 19. हि न्दी वर्तमानकालिक वाक्य रचनाओं के अन्त में ‘ हूँ ', ‘ है ', ‘ हो ' जैसी सहायक क्रियाएँ अवश्य लगती हैं। 20. बाह्य संसार का वर्तमानकालिक ज्ञान इन्द्रियों द्वारा मन तक पहुंचता है, किन्तु उस ज्ञान को तीनों कालों से जोड़ना मन का कार्य है ।