11. एक वाग्दत्ता अपने होने वाले पति को विवाह से पहले की अन्तिम चिट्ठी लिखती है । 12. कालरी के देवरा राजपूत की अपूर्व सुन्दरी कन्या सोनल अणहिल्ल्पुर पाटण नरेश जयसिंह (संवत ११४२-११९९) की वाग्दत्ता थी।। 13. यह सब सोचना मेरा या मेरे परिवार का नहीं है कि वह व्यवस्था आप कैसे करेंगे या आपकी वाग्दत्ता लड़की का क्या होगा। 14. किसी घटना से उसे मालूम होगया कि उक्त युवक युवती है और उसकी अपनी वाग्दत्ता लीलादेवी है तो वह विवाह केलिए आतुर हो उठा. 15. उन्होंने अपनी शैली में एक चिट पर लिख कर पूछा कि ये कविता यदि कहीं वाग्दत्ता न हो तो ' प्रतीक ' के लिए प्रार्थित हैं। 16. किंतु कृष्ण को अपशब्द कहते-कहते, शिशुपाल ने जैसे ही रुक्मिणी को अपनी वाग्दत्ता पत्नी कहा, कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका शीश्ा काट डाला। 17. शिशुपाल ने देखा, उसके नेत्र रुक्मिणी की ओर से से हट नहीं रहे थे-मेरी वाग्दत्ता थी यह, आज मेरे संग होती! मेरी वस्तु को. 18. एक वाग्दत्ता उनकी भावनाओं के साथ क्यों खेलती रही? उनकी पीड़ा उनकी कविताओं में निखरकर आ रही थी जो कि अब स्थानीय पत्र में छपने भी लगी थीं। 19. परी का मान? किस बात का मान? वाग्दत्ता होकर मुझसे प्यार की पैंगें बढ़ाने वाली का? न झरना अप्सरा है, न मैं देव हूँ, और न ही नई सराय हमारा असीम स्वर्ग। 20. परी का मान? किस बात का मान? वाग्दत्ता होकर मुझसे प्यार की पैंगें बढ़ाने वाली का? न झरना अप्सरा है, न मैं देव हूँ, और न ही नई सराय हमारा असीम स्वर्ग।