11. केवल धन कमाने के लिए वास्तुशास्त्र की शिक्षा लेनेवाला युवक कभी सच्चा वास्तुक नहीं बन सकता। 12. किंतु उन शैलियों से किसी वास्तुक को क्या प्रयोजन? या उनका उसके युग से क्या संबंध? 13. किंतु उन शैलियों से किसी वास्तुक को क्या प्रयोजन? या उनका उसके युग से क्या संबंध? 14. इस नेतृत्वपूर्ण नैष्ठिक सृजनात्मकता के कारण ही वास्तुक को मूर्तिमान सृष्टा का औचित्यपूर्ण नाम दिया जाता है। 15. वास्तुक का यह विवेवक सामान्य ललितकला (सौंदर्य शास्त्र) और दार्शनिक पक्ष के ज्ञान पर आधृत होता है।16. वास्तुक का यह विवेवक सामान्य ललितकला (सौंदर्य शास्त्र) और दार्शनिक पक्ष के ज्ञान पर आधृत होता है।17. इस नेतृत्वपूर्ण नैष्ठिक सृजनात्मकता के कारण ही वास्तुक को मूर्तिमान सृष्टा का औचित्यपूर्ण नाम दिया जाता है। 18. वास्तुक अपने काम में उतना ही उसाही और निष्ठावान् होता है जितना एक कुशल वकील या सहानुभूतिपूर्ण चिकित्सक।19. वास्तुक अपने काम में उतना ही उसाही और निष्ठावान् होता है जितना एक कुशल वकील या सहानुभूतिपूर्ण चिकित्सक।20. किंतु निजी व्यवसाय करते हुए प्रत्येक वास्तुक भारतीय वास्तुक संस्था द्वारा निर्धारित नियम पालन करने के लिए बाध्य है।