11. जैसे-शब्द में नित्यत्व रूप साध्य के अभाव अनित्य के व्याप्य “जन्यत्व” का संबंध। 12. त्रिगुणमयी प्रकृति और परमात्मा का परस्पर आधेय और आधार एवं व्याप्य व्यापक संबंध है। 13. इस प्रकार के कथन में व्याप्य का पहले और व्यापक का अनंतर कथन किया जाता है. 14. इस प्रकार के कथन में व्याप्य का पहले और व्यापक का अनंतर कथन किया जाता है. 15. यह एक व्यवस्था है-व्याप्ति के ऐसे निर्देश में हेतु अर्थात साधन व्याप्य और साध्य व्यापक होता है. 16. कालिदास की शिव वंदना या सृष्टि: स्रष्टुराद्या वहति विधिहुतं या हविर्या च होत्री येद्वेकालंविधत: श्रुतिविषयगुणा: प्राणवन्त: या स्थिता व्याप्य विश्वम्। 17. यह एक व्यवस्था है-व्याप्ति के ऐसे निर्देश में हेतु अर्थात साधन व्याप्य और साध्य व्यापक होता है. 18. अत: व्याप्य पदार्थ के द्वारा व्यापक पदार्थ की अनुमति होती हैं व्याप्य पदार्थ हेतु और व्यापक पदार्थ साध्य कहलाता है। 19. अत: व्याप्य पदार्थ के द्वारा व्यापक पदार्थ की अनुमति होती हैं व्याप्य पदार्थ हेतु और व्यापक पदार्थ साध्य कहलाता है। 20. भव नहीं है, अत: जहाँ धूम रहेगा उस स्थल में आग अवश्य रहेगी धूम है व्याप्य और वह्नि है व्यापक।