11. होंठों का बाहरी भाग त्वचा का और अंदरूनी भाग श्लेष्मिक कला का होता है। 12. सुरंगें भीतर से श्लेष्मिक कला से आच्छादित हैं जिसमें रक्तवाहिकाएँ और तंत्रिका फैली हुई हैं। 13. सुरंगें भीतर से श्लेष्मिक कला से आच्छादित हैं जिसमें रक्तवाहिकाएँ और तंत्रिका फैली हुई हैं। 14. उसका रंग मटमैला सा होता है और उसके पास श्लेष्मिक कला में शोथ होता है। 15. आन्तरिक श्लेष्मिक कला परत-यह परत पित्त वाहिकाओं के अस्तर में विलीन हो जाती है। 16. पहली अवस्था में श्लेष्मिक कला (कंजंक्टाइवा) एक समान शोथयुक्त और लाल मखमल के समान दिखाई पड़ती है; 17. पहली अवस्था में श्लेष्मिक कला (कंजंक्टाइवा) एक समान शोथयुक्त और लाल मखमल के समान दिखाई पड़ती है; 18. नासागत श्लेष्मिक कला में परिवर्तन, नासानाड़ी में विकृति और मस्तिष्कगत विकृति आदि में घ्राणहानि पाई जाती है। 19. नासागत श्लेष्मिक कला में परिवर्तन, नासानाड़ी में विकृति और मस्तिष्कगत विकृति आदि में घ्राणहानि पाई जाती है। 20. मस्तिष्क से आरंभ होकर नासास्नायु का जोड़ा नाक की श्लेष्मिक कला तथा घ्राणकोशिका में जाकर समाप्त होता है।