11. इसके बाद रोगी स्त्री को श्वासन क्रिया करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है। 12. इसके बाद रोगी स्त्री को श्वासन क्रिया करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है। 13. लेकिन हृदय रोगों से बचने के लिए श्वासन , नाड़ी शोधन बिना कुंभक गौमुखासन सबसे बढ़िया आसन हैं। 14. यष्टि आसन: श्वासन की मुद्रा में लेट जाएं तथा दोनों हाथों को सिर के पीछे ले जाएं। 15. अगर नेगेटिव सोच आप पर हावी हो रही है, तो सुखासन और श्वासन वगैरह आपके लिए फायदेमंद रहेंगे। 16. दूसर न्यूरोहाज्सन केंद्रीय तं त्रिकातंत्र को प्रभावित कर श्वासन क्रिया तथा दिल की गतिविधियों में अवरोध उत्पन्न कर देता है। 17. फिर सीधे पीठ के बल सीधे श्वासन में लेट जाए तथा प्राप्त ऊर्जा को अपने अन्दर समाहित करने का प्रयास करे। 18. तीसरा चरण-पंद्रह मिनट शांत और स्थिर होकर बैठें या श्वासन की मुद्रा में, पंद्रह मिनट तक लेट जाएं। 19. इसके बाद धीरे-धीरे आसन की पहली स्थिति में आ जाएं और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं और श्वासन क्रिया सामान्य रखें। 20. यदि संपूर्ण अभ्यास के लिए पर्याप्त समय न हो तो श्वासन में लेटकर पेट में श्वास गिनने का अभ्यास किया जा सकता है।