11. संजीवक बोला, आखिर बात क्या है? आप इतने व्यग्र क्यों हैं |12. फिर संजीवक भी बड़े कष्ट से तीन खुरों के सहारे उठ कर खड़ा हुआ। 13. तब संजीवक ने कहा-महाराज के पीठ पीछे इस प्रकार क्यों करते हैं? 14. -‘तो इसीलिये आप संजीवक के विदेशी बैंक खातों की जांच नहीं करवा रहे? '-‘बिल्कुल सही। 15. मरूप कायनबा नामक इस नाटक में पिंगलक, कर्तक, संजीवक , दमनक आदि पशु-पात्र हैं। 16. इतने में संजीवक बोला कि-महाराज, आज मरे हुए मृगों का माँस कहाँ है? 17. बाद में सिंह, संजीवक सेवक को मार कर थका हुआ और शोक सा मारा बैठ गया। 18. ] आवो सारे पशुगणआवो रे संजीवक मेरा मित्र लखो रे संगे उसके नदी पर जाएंसब कोई मिलकर पानीपिएं. 19. संजीवक ने आदत से कहा मित्र कुशल तो है? दमनक ने कहा-सेवकों को कुशल कहाँ?20. फिर उस जाते हुए का, सुदुर्ग नामक घने वन में, संजीवक घुटना टूटने से गिर पड़ा।