11. संदीपक वापस शिवजी के पास गया और वरदान के लिए मना कर दिया।12. संदीपक की तरह वे अपने सदगुरु की पूर्ण कृपा को पचाने में सफल हुए।13. वेदधर्म मुनि एवं संदीपक काशी नगर में मणिकर्णिका घाट से कुछ दूर रहने लगे। 14. संदीपक ने अपने गुरु की आज्ञा के बिना कुछ भी माँगने से मना कर दिया।15. धनभागी संदीपक के हृदय में गुरु के प्रति भक्तिभाव अधिकाधिक गहरा और प्रगाढ़ होता गया। 16. वेदधर्म मुनि के शिष्यों में संदीपक नाम का शिष्य खूब गुरु-सेवापरायण, गुरुभक्त एवं कुशाग्र बुद्धिवाला था। 17. कुछ दिन बाद गुरु के पूरे शरीर में कोढ़ निकला और संदीपक की अग्निपरीक्षा शुरु हो गयी। 18. भगवान विष्णु और भगवान शंकर आये, उसे वरदान देना चाहा लेकिन अनन्य निष्ठावाले संदीपक ने वरदान नहीं लिया। 19. शिवजी ने फिर से आग्रह किया तो संदीपक गुरु से आज्ञा लेने गया और बोलाः ” शिवजी वरदान देना चाहते है। 20. गुरु ने कोढ़ी का रूप धारण किया, सेवा के दौरान कई बार संदीपक को पीटते थे फिर भी कोई शिकायत नहीं।