11. तथागत ने ईश्वर को कभी सृष्टिकर्त्ता के रुप में स्वीकार नहीं किया. 12. मानवीय प्यार (प्रेम) सृष्टिकर्त्ता के लिए प्यार और समर्पण (भक्ति) में बदल जाता है. 13. प्रकृति और पुरुष सृष्टिकर्त्ता अपने माता-पिता को न देखते हुए संशय में पड़ गये। 14. विश्व के समस्त जीवधारियों की अपेक्षा मनुष्य ही सृष्टिकर्त्ता की सर्वसर्वश्रेष्ठ रचना है । 15. मानवीय प्यार (प्रेम) सृष्टिकर्त्ता के लिए प्यार और समर्पण (भक्ति) में बदल जाता है. 16. उन्होंने अपने गीतों में शुद्ध कविता को सृष्टिकर्त्ता , प्रकृति और प्रेम से एकीकृत किया है। 17. सृष्टिकर्त्ता ने आदि से उसमें त्रिकालवृत्ति लिख रक्खा है, जैसा कि स्थानान्तर में कहा है-18. तथा विश्व के सृष्टिकर्त्ता की आराधना करें, ईश्वर केवल यहूदिया के ईश्वर के रूप में 19. सृष्टिकर्त्ता ब्रहमा जी को गंदी गाली से सुशोभित कर ये पत्रिका व इसे कर्त्ता-धर्त्ता किसे खुश&20. इच्छाएँ हमारी बेवकूफी से पैदा होती हैं और आवश्यकताँ सृष्टिकर्त्ता के संकल्प से पैदा होती हैं।