11. सूफ़ी मार्ग इस्लाम की स्त्रैणता की अभिव्यक्ति है, ऐसा मान लेना अनुचित नहीं होगा। 12. सूफ़ी मार्ग इस्लाम की स्त्रैणता की अभिव्यक्ति है, ऐसा मान लेना अनुचित नहीं होगा। 13. 25. पुरूष सहजता से स्त्रैणता की ओर जाता है तो वह सौंदर्यता की प्रगाढ़ता में जाता है। 14. 20. पुरूष सहजता से स्त्रैणता की ओर जाता है तो वह सौंदर्यता की प्रगाढ़ता में जाता है। 15. ऐसा करते हुये वह अपने भीतर की कथित ‘ स्त्रैणता ' से उबर रहा होता है। 16. 20. पुरुष में जब स्त्रैणता प्रकट होती है तब सत्य उस के प्राण में पूरी तरह खिला हुआ होता है। 17. ऐसे ही यदि पुरुष का शरीर हो और अंदर अकड़ (अहंकार) न हो तो वह स्त्रैणता ही कहलाएगी । 18. अंतर की स्त्रैणता को मना कर दिया गया है, इसलिए अब बाहर की स्त्री तुम्हारे मन को ग्रसने लगी है। 19. इसी तरह जन्नत भी अल्लाह के जमाल यानी स्त्रैणता की अभिव्यक्ति है और दोज़ख़ उसके जलाल यानी उसके पुरुषत्व की अभिव्यक्ति है। 20. हालांकि इस्लाम के जानकार बताते हैं कि इस्लाम में और क़ुरान में पौरुष और स्त्रैणता के दोनों ध्रुव पहले से मौजूद हैं।